लेखनी प्रतियोगिता -02-Oct-2022 दैनिक काव्य प्रतियोगिता
कालरात्रि माँ
हे माँ काली तुम कल्याणी,
कृपा करो हे माँ ।
विपदा बहुत घनेरी है माँ
रक्षा करो हे माँ।।
पीर बढ़ी भक्तों की बहुत
द्वार खड़े हैं माँ।
वसुधा के सब संत त्रस्त हैं
रक्षा को हे माँ।।
दुष्ट दलन रण चण्डी काली माँ
देर न अब कर माँ।
इस लगाए भक्त खड़े हैं,
असुरों का अट्टहास माँ।
रक्तबीज से बढ़ते हैं प्रतिदिन,
मिले न कोई तोड़ है।
संत पुकारे मैय्या अब आ जा,
भक्तों लाज बचाने आ माँ
स्वरचित एवं मौलिक रचना
अनुराधा प्रियदर्शिनी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश
Gunjan Kamal
05-Oct-2022 06:46 PM
बहुत ही सुन्दर है
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नंदिता राय
03-Oct-2022 09:54 PM
शानदार
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Supriya Pathak
02-Oct-2022 10:40 PM
Bahut khoob 💐👍
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